मेरा क़सूर क्या है ?
मेरा क़सूर क्या है ?
मेरा क़सूर क्या है ?
न मार मुझे कोख में मेरा क़सूर क्या है ?
तेरी कोख के बिना भला
इस जग में मेरा वजूद क्या है ?
इक बेटी तू है, इक मैं अजन्मी बेटी !
बेटी हो कर बेटी के वजूद से
ये नफ़रत क्या है ?
न मार मुझे......
बाबुल मेरे जन्मा है तू
भी किसी मॉं कीं कोख से,
भावी पीढ़ियों की होने
वाली मॉं से ये द्वेष क्या है ?
न मार मुझे कोख......
पति पत्नी के रूप में जब
करते हो तुम कन्या पूजन ?
कन्या रूपी दुर्गा काली, लक्ष्मी को
मिटाने वाला ये घिनौना रूप क्या है ?
न मार मुझे कोख......
मीरा भी मैं!अहिल्या भी मैं !
मैं हूँ झाँसी वाली रानी !
सृष्टि कीं पावन बेटियों को भविष्य से
दूर करने की यू हसरत क्या है ?
न मार मुझे कोख......
सीता, सावित्री, नानकी, बीबी फ़ातिमा पद्मावती,
कल्पना चावला की कहानियाँ सुनानेवाले ?
क्यूं ख़ुद ही कन्या को
कोख में मिटाते हो ?
बेटियों के जीवन के इस
कड़वे सच का वर्चस्व क्या है ?
न मार मुझे कोख.....
ये कैसी दोहरी मानसिकता है ?
बेटों की जंग में बढ़ाई,
और बेटी कोख में मिटाईं !
कैसी और कौन सी है मजबूरी ?
क्यूँ मेरे जन्म पर,
इस समाज ने उँगली उठाई ?
मासूम सी उस भ्रूण का गुनाह क्या है ?
न मार मुझे कोख......
है कौन सा कारज जो
बेटियाँ कर नहीं सकती ?
कौन सा आसमाँ है सृष्टि में
जो बेटियाँ छू नहीं सकती ?
तुम बन जाओ माता-पिता प्यारे
बेटा और बेटी दोनों आँखों की तारे
मिटा दो ये कन्या भ्रूण हत्या का चलन
बेटियों को दो जीवन का अधिकार !