तेरी चाहत।
तेरी चाहत।


तेरी चाहत मेरे जीवन को नई राह दिखलाता रही,
पग मेरे बढ़ते रहे मंजिल को पाने के लिए,
मुश्किलें पड़ी जब-जब, तुम मेरा साथ निभाती रही। तेरी चाहत......
जाने अनजाने में अगर कोई गलती भी हुई,
तुमने मुझे भटकने से रोका सिर्फ अपने लिए,
तब समझा तेरी चाहत को, याद तेरी दिलाते रही। तेरी चाहत......
खाते-पीते सोते जागते तुमको कभी भुला ना सका,
पल पल तेरी मासूमियत दिल में समाती रही,
फिर जाना चाहत क्या होती, खाली पल रुलाती रही। तेरी चाहत......
चाहत कहूँ या दिली- मोहब्बत तुमने ही बतलाया था,
प्रेम जितना तुम मुझसे करते ,इतना ही करते रहना,
तब समझ में आई चाहत की भाषा, जो तुम समझाती रहीं। तेरी चाहत......
आज अगर चाहत का मतलब दुनिया वाले समझ पाते,
हर कोई इतना सबको चाहता, नफरत का कभी नाम ना रहता,
तेरी ही चाहत का असर है, जो जीने की कला सिखलाती रही। तेरी चाहत......