प्रेमपत्र
प्रेमपत्र
प्रत्र तो बहुत लिखे पर कभी भेजा नहीं
सपनों तो बहुत बुने पर कभी बेचा नहीं
धड़कन तो सुनी पर होंठों ने कहा नहीं
मोहब्बत महका पर लब़्जों में बहा नहीं
आंखें तो लड़ी पर कोई इशारा नहीं
मुड़ कर देखा पर उसने पुकारा नहीं
साथी ढूंढा पर कदम मिलाया नहीं
हाथ थामा पर वादा निभाया नहीं
आंसू भी बहे पर शब्दों में उतारा नहीं
साथ भी छूटा पर मिला कोई सहारा नहीं
नाम नहीं लिया पर कभी भूलाया नहीं
सपनों में बसाया पर कभी बुलाया नहीं
प्यार तो किया पर कभी जताया नहीं
चाहा तो बहुत पर कभी बताया नहीं।