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SIJI GOPAL

Inspirational

4.5  

SIJI GOPAL

Inspirational

आज मैं आज़ाद और ये पिंजरा तेरा है...

आज मैं आज़ाद और ये पिंजरा तेरा है...

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आज ज़मीन भी मेरी और आसमान भी मेरा है,

तेरे हिस्से में बस तेरा बनाया हुआ बंद कमरा है,

आज महफ़िल मेरी और सन्नाटा तेरा है...

आज मैं आज़ाद और ये पिंजरा तेरा है!!


आज वक्त का हर झोंका, हर पल बना साथी मेरा है,

तेरे लिए तो आने वाला समय, काल का इशारा है!!

आज मैं मुस्कुराता हूँ और तुझ पर दुखों का डेरा है...

आज मैं आज़ाद और ये पिंजरा तेरा है!!


आज सावन, बहार और बसंत से मेरा रिश्ता गहरा है,

तुझसे तो पतझड़ की पत्तियों ने भी किया किनारा है,

आज पूर्णिमा मेरी और अमावस तेरा है...

आज मैं आज़ाद और ये पिंजरा तेरा है!!


आज सागर, नदी, झरनें पर बस हक मेरा है,

तेरे लिए पानी की हर बूंद भी शक क

ा घेरा है,

आज उजाला मेरा और अंधियारा तेरा है...

आज मैं आज़ाद और ये पिंजरा तेरा है!!


आज सूरज भी मेरा और ये चांद सितारे भी मेरे है,

तेरे सामने तो तेरे ही अनगिनत नकाबपोश चेहरे है,

आज मैं निडर और तू भय का मारा है...

आज मैं आज़ाद और ये पिंजरा तेरा है!!


आज जंगल, पर्वत, मरूस्थल सब मेरी जागीर है,

तू, दया की भीख मांगता एक मामूली फकीर है,

आज मैं निश्चित और तू बेसहारा है...

आज मैं आज़ाद और ये पिंजरा तेरा हैं!!


आज तेरी बनाई हर सृष्टि, हर भगवान भी मेरा है,

तेरी तो हर चाहत, हर अधिकार पर लग गया पहरा है,

आज मैं अग्नि और तू राख का ढेरा है... 

आज मैं आज़ाद और ये पिंजरा तेरा है!!


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