अब सूरज बनकर चमकेगी वो आज एक नारी सब पर भारी है, क्योंकि ये आज की नारी है। अब सूरज बनकर चमकेगी वो आज एक नारी सब पर भारी है, क्योंकि ये आज की नारी है।
बिखर रहा है ये देश जातिवाद के नाम पर क्या गुलामी सही था भाईचारे के लिए बिखर रहा है ये देश जातिवाद के नाम पर क्या गुलामी सही था भाईचारे के लिए
तकदीर भी तराश रहा ये बलिदान वतन की खातिर हो तकदीर भी तराश रहा ये बलिदान वतन की खातिर हो
मूंदीं आंखें खोल चलें प्यारी सुहानी दुनिया के हसीं पलों में खो चलें। मूंदीं आंखें खोल चलें प्यारी सुहानी दुनिया के हसीं पलों में खो चलें।
इस कविता में कवि एक पंछी की आजाद़ उड़ान पर मोहित हो चला है वो पंछी जो बिना किसी बैर-भाव के अपनी मंजि... इस कविता में कवि एक पंछी की आजाद़ उड़ान पर मोहित हो चला है वो पंछी जो बिना किसी ...
नारी जो 'अबला' थी कभी, अचानक 'सबला' कहलाने लगी, चार किताबें क्या पढ़ लीं, जाने कैसे-कैसे ख्वाब सजाने... नारी जो 'अबला' थी कभी, अचानक 'सबला' कहलाने लगी, चार किताबें क्या पढ़ लीं, जाने क...