पलों में बिखरी ज़िन्दगी
पलों में बिखरी ज़िन्दगी
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कभी तन्हा हो जाएं भीड़ में
भीड़ से घिरा समझें तन्हाई में
पलों में बिखरी-बिखरी ज़िन्दगी
यह कैसी खलबली मची मन में।
स्नेह-प्यार समेट कर देखें
तनिक कोशिश तो कर देखें
ज़िन्दग़ी ख़ुशी-ख़ुशी बीताने के लिए
दिल की दीवार हल्की रख देखें।
ऐसी गहराई में ऐसा सुकून मिले
जब प्यार का जवाब प्यार से मिले
तंगनज़री से आज़ाद हसीं लम्हों में ठहर
तरसी निगाहों को बिछुड़े मिलें।
तो आ
फिर यादों में लौट चलें
मूंदीं आंखें खोल चलें
प्यारी सुहानी दुनिया के
हसीं पलों में खो चलें।