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Rachna Vinod

Others

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Rachna Vinod

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अलसाई सुगबुगाहट

अलसाई सुगबुगाहट

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गहन कोहरे में सिमटी

धवल धुंध में धुंधली

ठंडे सूरज की ठंडी किरणें 

बिखरने के प्रयास करती।


सर्द सुबह की अलसाई सुगबुगाहट

रज़ाई से बाहर निकलने में कुलबुलाहट 

रात के तसल्ली-बख़्श अन्धेरे अन्दर 

क़ायनात के पाक़ मंज़र।


किस गिरफ्त से छूट नाचती

वक़्त-बेवक़्त बेख़ौफ़ यहां-तहां भागती

बंद दरवाज़ों पर दस्तक देती

कोहरे की सख़्ती को भेदती।


हिमवत लहरों में लिपटती

मौसम संग आंख-मिचौली करती

उजली धुन्ध को साथ लिए 

पत्तों को छन कर छेदती।


बंद खिड़की के बाहर लहराएं 

कमरे को ठंडा करती सर्द हवाएं 

पुरसुकून ज़िन्दगी के लिए दुआएं 

नरमी से गर्माते फ़ज़ाई शुआएं।

 


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