शिवाय नमः
शिवाय नमः
जब भी मन हो तनिक मलीन
ध्यान में हो जाए विलीन,
शुद्ध करें भक्तों का मन,
जग में फैले आनंद अखंड।
नीलकंठ शिव जय भोलेनाथ,
भोलेनाथ के आगे झुके भक्त,
हर हर महादेव शिव शम्भू सुंदर,
यत्र-तत्र सर्वत्र प्रियदर्शन।
चंद्रशेखर मुनि शिर धारी ,
ताण्डव नाच रचाते शिव गण,
जटा में धुलता चंद्रमा सुशोभित,
चहुंओर सुसज्जित सुंदर शोभन।
धरती पर सारे सुंदर विहग घेरे,
भक्तों के मन भाव भरे,
मृदुल मृदंग ध्वनि सुन्दर त्रिभुवन,
अनंत शिव की गान गुण।
सद्गुरु हैं शिव सभी के गुरु
सब अन्त-अनन्त वहीं से शुरू
सजती-संवरती जब अर्चना शिव की,
हर घर में आता है शिव का वास।
उन्मुक्त सर्व संकट से हमें,
प्राण प्राणेश्वर शिव तुम्हारा वास,
भक्ति भावना से जब ह्रदय स्पर्शी,
मेला लगा जब भी भक्तों का।
ध्यान लगा मन शिव को, जप भक्ति का भरपूर
मन के भाव को रखे सारे, उन्मुख भाव से दूर,
गिरिजा पति जगदीश्वर, भक्तों का प्रिय आधार,
कैलाश पर्वत शिखर पर करते निवास।
त्रिशूल भूषण त्रिनयन हैं, माता जाननी सार,
भोलेनाथ सबकी भक्ति, प्रीति तुझसे जुड़ी,
करुणासागर दयामयी, भक्तों के दुःख हर,
कामरूप धर दर्शाया, मोह द्वारा जीवन संसार।
भव बंधन से मुक्ति देते,
भक्ति के मार्ग पर चलते, चलते
नमामि शिव शिवाय नमः
उन्माद से भरे उत्साह से, भोलेनाथ की जय कहते।
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