"अहं ब्रम्हांस्मि"
"अहं ब्रम्हांस्मि"
गली-गली में, ड़गर-ड़गर में
ढूँढ रहा तू सारा जहाँ
सब जग ढूँढा , खुद मे न ढूँढा
वहीं तो बसा है तेरा खुदा
बावरे,मन मे बसा है तेरा खुदा....
कितने लोग,कितने रिश्ते
कुछ हँसते ,कुछ हैं रोते
कुछ बिखरते,कुछ ही संवरते
कौन उम्मीदे जगाता है दिल मे
झाँक अंदर खुदमें प्यारे
तुझ मे ही बसा है तेरा खुदा ...
अहंकार उभरकर आये
बार बार ताने सीना
सुकून ढूँढने भटक रहा पर
मंदिर,मस्जिद सूना पड़ा
क्यु ढूंढ रहा सारा जहाँ तू
तुझ मे ही बसा है तेरा खुदा ।।
जगमगाती है दुनिया पर
मन मे छाया अंधियारा घना
कब समझ पायेगा तू
अपने ही अंदर दीपक जला
मन मे ही बसा है तेरा खुदा ।।
