STORYMIRROR

Arif Shaikh

Inspirational

4  

Arif Shaikh

Inspirational

शून्य से शुरूआत है

शून्य से शुरूआत है

1 min
387

क्या हुआ जो टूट गया,

सब से पीछे छूट गया l 

बिखरा है तो क्या हुआ, 

उम्मीद रख जुड़ जाएगा l 

रब ने दी हिम्मत के साथ देख नयी सौगात है,

शून्य से शुरूआत है शून्य से शुरूआत है l 


क्यूँ हार का गम मनाता है,

जग में आकर ही सब जीता था l 

अभी से क्यूँ मुरझाता है,

फ़िर क्यूँ ना तू लहराता है l 

खुद में नया जोश जगा अब फ़िर नयी सी बात है,

शून्य से शुरूआत है शून्य से शुरूआत है l 


क्यूँ तू शून्य से डरता है,

हर कोई शून्य से बढ़ता है l 

घड़ी जो हर वक्त इठलाती है,

हर रात शून्य हो जाती है l 

चल कदम बड़ा भगा दे डर जो तुझ में जन्मजात है,

शून्य से शुरूआत है शून्य से शुरूआत है l 


बहुत सो लिया अंधेरों में,

शून्य के इन काले घेरो में l 

देख सूर्य क्या सिखलाता है,

हर रोज शून्य से उठ जाता है l 

एक दिन यह ढल जाएगी गम की जो काली रात है,

शून्य से शुरूआत है शून्य से शुरूआत है l 


हाँ हुआ हैं तू शून्य जरूर,

समझा सबने व्यर्थ जरूर l 

यह क्या पहली बार हुआ,

जन्म से भी तो शून्य था l 

गिरा हुआ है उठेगा तू,

कोशिश से गर बढ़ेगा तू l 

गिले शिकवे सारे माफ़ है अब होगी नयी हर बात है,

चल उठ अब दौड़ ले आरिफ़ देख नयी प्रभात है,

शून्य से शुरूआत है शून्य से शुरूआत है l 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational