चारों ओर अंधेरा है तम ने सूरज को घेरा है। चारों ओर अंधेरा है तम ने सूरज को घेरा है।
रबाब की धुन में गाती हूं बस बदूइन सा फिरती हूं। रबाब की धुन में गाती हूं बस बदूइन सा फिरती हूं।
मेरे सुप्त चेतना धरती की सुन्दरता में समा गई थी.. मेरे सुप्त चेतना धरती की सुन्दरता में समा गई थी..
उसके लायक खेलने के लिए खिलौने कुछ भी नहीं, उसके लायक खेलने के लिए खिलौने कुछ भी नहीं,
मेरा मन मेरा ना था किसने चूरा लिया था मुझे मुझसे... मेरा मन मेरा ना था किसने चूरा लिया था मुझे मुझसे...
लाखों ठोकरें खाईं जमाने की, पर तुमने ही दिया सहारा लाखों ठोकरें खाईं जमाने की, पर तुमने ही दिया सहारा