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Indira Mishra

Fantasy

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Indira Mishra

Fantasy

बरफ

बरफ

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बरफ और बरफ से ढके हुए कितने रंगों के समाहार...

सफ़ेद नीला पिला हरा लाल रंगों के घने जंगल घेरा हुआ है ....

मेरे अस्तित्व को पूरी तरह पकड़ लिया था उसने अपने कब्जों में....

मेरे मन मेरे ना था किसी ने चूरा लिया था मुझे मुझसे

कौन थी वो मेरी सपना स्वप्न सुंदरी आत्मा...

मेरे सुप्त चेतना धरती की सुन्दरता में समा गई थी..


हरी हरी वादी खुला आसमान हरे हरे जंगल

भषा भषा बादलों के साथ

जैसे कोई चित्रकार रंगों के छवि बनाता है अपने हाथों में....

मैं भी भूल गई थी अपनी आत्म सत्ता

खो गई थी प्रकृति की गोद में.....

उसके आकर्षण प्यार भरी एहसास आलिंगन उसके बाहों में ....



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