नफरत ना करो
नफरत ना करो


नफरत ना करो किसी से किसी भगवान या धर्म से।
कीचड़ ना डालो किसी के नीति नियम पर
जब खून से खून का रंग ना अलग होता,
तो फिर भगवान से भगवान कैसे अलग हो जाता है।
ये तो बस मन की कल्पना है।
और कुछ नहीं, रंग तो एक ही है,
मुहब्बत का, विश्वास का।
जब खून से खून मिलता तब हम
कौन सा धर्म जाति के आबस में आ जाते है
सिवा एक इनसानियत का धर्म को छोड़ कर,
भूल जाते हैं डि न ए, र न ए के बारे में
क्योंकि हम मुहब्बत करते हैं एक दूसरे से,
हम सब भारतीय हैं, जय हिन्द, जय हिंद के वासी,
जय जवान जय किसान इंकलाब जिन्दाबाद,
एक ही खून एक ही रंग एक ही धर्म
विश्व प्रेम की भावना मन में है,
वासुदेव कुटुम्बकम ।
पहचान हम हिन्दुस्तानी।