बन्दे मातरम्
बन्दे मातरम्
बन्दे मातरम्, बन्दे मातरम्, सुजलां सुफलां मलयज शीतलाम मातरम्,
शस्य श्यामला मातरम् ,,
हे मां तेरे चरणों में कोटि कोटि प्रणाम,,
मधुर जल सुशोभित पृकृति शीतल समीर,
जीवन का रक्षा करती, प्राण वायू को संचालित करती,
अनार अन्न उगति भूक मिटाती अन्न देती, संतुलन बनाए रखती,,
क्युंकि मां कि ममता सबको अन्न मिले, सब्जी मिले,,
कोई ना भूखा रहे, निरंतर प्रयास उसकी,,
सिर पर हिमालय पैरो में लहराती सागर,,,
आंचल में लहराती कितने नदियाँ,
घने जंगल केश की तरह लम्बी मन को बहलाती
शीतल पवन आंखोँ में चमकती सूरज चंद्रमा कि किरण,,,,
सुभ्र ज्योस्ना पुलकित यमिनी पुल्लकुसुमित द्रुमदल्ल
शोभिनी सुहसिनी सुमधुर भसिनी सुखदां बरदांं मातरम्
बन्दे मातरम्, बन्दे मातरम्, ,,,,,,