सान्ज ढला
सान्ज ढला
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साँझ ढला साँझ ढला
जीबन का साँझ ढला
बुझने से पेहेले जलती जीबन दिया
साँझ ढला जीबन कि साँझ ढला
सबेरा कि वोही सुनेली किरण इन्द्रधनुष रंग
लेकर मन कि परोदे में तुझको
बिठाया नहीं तब साँझ ढलाl
दोपहर कि कडी धुप में दौड़रहिथी
मेँ कामना का पीछे पीछे मोह
प्यास का पीछे पीछे तब साँझ ढली
समझ गई अब ए जीवन एक माया मोह भरा
दौड़ रही थी में कामना के पीछे पीछे तब साँझ ढली,
आयेगी रात अब छाएगी घोर अंधेरा
डर नहीं अब मुझे तुम तो हो साथ मेरे साथी मेरे साथ होगा,
अब साँझ ढली जीबन का साँझ ढली।