नहीं रुकती जिंदगी किसी के जाने से
नहीं रुकती जिंदगी किसी के जाने से
हाल पूछने मत आना, घाव भर गए हैं,
वक्त के मरहम से, अब ज़ख्म सिल गए हैं।
रिश्तो की दुहाई मत देना, जज़्बात मर गए हैं,
शायद शीशे के थे सपने, हाथों से फिसल गए हैं।
नहीं रुकती जिंदगी किसी के जाने से, यह जाना हमने,
पथिक थे सब राहों के, मंज़िल बदल गए हैं।
जो चले गए जिंदगी से, वह दिल से उतर गए हैं,
धुंधली सी तस्वीर बन, आँखों से भी बिछड़ गए हैं।
कभी थे हमसफ़र, अब रास्ते बदल गए हैं,
वहम था शायद अपना, जो दिल में पल गए हैं।
शिकायत नहीं किसी से, नसीब अपना अपना,
यह कर्मों का लेखा जोखा है, अब खुद ही उभर गए हैं।
खुशियाँ भी मिलेंगी, गम भी आएंगे,
यह दस्तूर है जिंदगी का,
जीना है हर हाल में, सबक ये पढ़ गए हैं।
अब ना कोई शिकवा, ना कोई गिला है,
खुद से ही खुद की, पहचान कर गए हैं।
हाल पूछने मत आना, अब हम बदल गए हैं
,
ज़िंदगी की राहों में, अकेले ही संभल गए हैं।
चंचल चौहान
