धर्म पूछकर मारा तुमने
धर्म पूछकर मारा तुमने
यह कैसा न्याय था?
एक माँ की कोख सूनी कर दी,
यह कैसा तेरा धर्म था?
अब अधर्म का विध्वंस करेंगे,
यह प्रतिज्ञा है हमारी,
ऐसी सोच पैदा होने से कांपेंगी नस्लें तुम्हारी,
ऐसी होगी मार हमारी।
बहुत हुई ये मार काट छांट,
आतंक की अब सीमा टूटेगी,
बन महाकाल, आतंक को संहारेंगे।
हर तरफ मचेगी त्राहि त्राहि,
जब उबलेगा लहू हमारा,
भारत माँ की रक्षा में,
बहेगा लहू तुम्हारा
यह राष्ट्र भावना है हमारी,
मिटा देंगे हर दुष्टता,आतंक को,
विजय होगी सत्य की,
यह है प्रतिज्ञा दृढ़ हमारी।
