वो दोस्त जो अब नहीं रहा.....
वो दोस्त जो अब नहीं रहा.....
कभी थी तू मेरी हँसी की वजह,
हर ग़म में तेरे साथ की चाहत रही।
बिना सोचे, बिना डरे सब कह देती थी,
क्योंकि तू थी, तो कोई भी बात सही लगी।
आठ साल की वो दोस्ती आज कहीं खो गई,
तेरे नए दोस्तों में मेरी परछाईं भी ना रही।
मैं वही हूँ, बातें वही हैं, पर तुझे शायद फुर्सत नहीं,
या फिर मैं अब तुझमें, कहीं ज़रूरत सी नहीं।
अब जब तुझसे बात करने को दिल करता है,
खुद को रोकना पड़ता है — तेरा हाल पुराना हो गया।
कभी जो तू बिना कहे समझ जाया करती थी,
आज मेरी आवाज़ भी तुझ तक नहीं पहुंचती है।
पर यादें अब भी वहीं हैं — मुस्कुराती सी,
तेरे बिना भी तुझसे जुड़ी हर बात याद आती है।
शायद तू भूला दे मुझे, पर मैं नहीं भूल पाऊंगी,
क्योंकि तू मेरी वो दोस्त है... जो अब नहीं रही।
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✍️ Ink•Imagination
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