क्यों आया था तू?
क्यों आया था तू?
कभी कुछ कहा नहीं,
पर तुझसे जुड़ जाना आसान था।
तेरी खामोशी भी सुकून देती थी,
जैसे तू समझता था मुझे… बिना कहे।
फिर तू आया मेरी ज़िन्दगी में,
इतना पास कि मैं खुद से दूर हो गई।
तू मुस्कराया, मैंने चाह लिया,
तू रुका, तो मैंने सपने बुन लिए।
पर फिर…
तू ऐसे गया, जैसे कभी था ही नहीं।
ना सवाल, ना जवाब,
बस एक ख़ामोशी छोड़ गया।
क्यों आया था तू,
जब जाना ही था?
क्या मेरा कसूर था
कि मैंने तुझे दिल से चाहा?
अब बस तू एक याद है,
जो हर रोज़ आँखों में उतरती है,
और हर बार यही पूछती है...
"क्यों आया था तू?"
✍️ Ink•Imagination
"Agar meri kavita ne aapke dil को छुआ हो, तो mujhe follow karke apna saath zaroor dijiye..."
Thankyou🥰🥰...
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