ये दुनियाँ तो किसी की सगी नहीं है.....
ये दुनियाँ तो किसी की सगी नहीं है.....
"ये दुनिया तो किसी की सगी नहीं है..."
ये दुनिया तो किसी की सगी नहीं है,
हर खुशी यहाँ बस ठगी नहीं है।
जो अपना लगे, वही गैर हो जाए,
यहाँ वफाएँ भी सस्ती बिकी नहीं हैं।
कल तक जो हाथ थामे खड़े थे,
आज वो नजरों से गिरे पड़े हैं।
समय के साथ सब बदल जाते हैं,
कोई साथ रहे, ऐसी कसमें किधर पड़े हैं?
दिल के रिश्ते यहाँ कागज़ी हो गए,
मतलब निकलते ही बेगाने हो गए।
हमने तो सोचा था साथ निभेगा,
पर हकीकत में सब अफसाने हो गए।
