क्यों आते हैं?
क्यों आते हैं?
"क्यों आते हैं?"
क्यों आते हैं वो लोग,
जो जाने ही वाले होते हैं?
क्यों भर देते हैं दिल में उम्मीदें,
जब निभाना उनका इरादा ही नहीं होता?
क्यों सिखाते हैं जीने का ढंग,
फिर अधूरी छोड़ देते हैं कहानी?
क्यों लगाते हैं दिल में वो उम्मीद का बीज,
फिर खुद ही सूखी ज़मीन छोड़ चले जाते हैं?
क्यों देते हैं इतनी अहमियत,
कि हम खुद को भूलने लगते हैं?
क्यों बनते हैं हमारी मुस्कुराहट की वजह,
फिर हमारी खामोशियों के गवाह बन जाते हैं?
क्यों नहीं समझते हमारे इंतजार की बेचैनी,
जो हर एक कॉल, हर एक मैसेज पर टिकी रहती है?
क्यों अनदेखा कर जाते हैं वो ऑनलाइन होते हुए भी,
जैसे हम अब उनके वजूद का हिस्सा ही नहीं रहे?
क्यों आते हैं ज़िन्दगी में,
अगर एक दिन दूर हो जाने का इरादा होता है?
क्यों बनते हैं वो आदत,
जिससे छुटकारा पाना नामुमकिन हो जाता है?
क्यों सिखाते हैं खुद से भी ज़्यादा उन्हें चाहना,
जब आखिरी में छोड़ देना ही उनकी मंज़िल होती है?
क्यों रुलाते हैं वो,
जिन्हें हंसाने का वादा किया था?
क्यों बन जाते हैं परछाई,
जब कभी हम साथ में आसमान छूने का सपना देखते थे?
क्यों?
शायद इसलिए...
क्योंकि कुछ लोग सिखाने आते हैं —
कि अपने दिल को संभालना भी एक हुनर होता है,
और सबसे बड़ी सच्चाई यह है —
कि जो जाते हैं, वो कभी अपने नहीं होते।
जो अपने होते हैं,
वो कभी छोड़ कर नहीं जाते।
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"Agar meri kavita ne aapke dil को छुआ हो, तो mujhe follow karke apna saath zaroor dijiye..."
Thankyou🥰🥰...
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