मुझे भी उतना ही कम कहना है तुमसे
मुझे भी उतना ही कम कहना है तुमसे
मुझे भी उतना ही कम कहना है तुमसे
जितना तुम्हें कहना है
मुझे भी झलकियों में दिखना है उतना
जितना कम तुम्हें रहना है
चाहते हो सिर्फ बड़े नहीं
छोटे-छोटे हिस्सों का हिस्सा बनूँ
दूर से भी लूं कहानियों की खबर
खत्म हो जाएं तो किस्सा बनूँ
फैसला भी तुम्हारा वक्त भी तुम्हारा
साजिश में तुम्हारी नाज़िर रहूँ
फुर्सत मिले इस इंतजार में
दफ्तर के मुलाजिम सा हाज़िर रहूँ
मुझे भी बहानों के बीच
दो बार का मिलना-मिलाना है
मुझे भी मसरूफ रहना है तुम सा
नावाकिफ़ हूँ जताना है
अपने निशानों के लेप से
घाव मेरे भरने आए
अस्त-व्यस्त रहे दशा मेरी
कोई और न घर करने आए
बासी हैं ये जज्बात सारे
जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल आए
फिर दोहराया गया सिलसिला
ज़रूरी है नया हाल आए
मुझे भी आसान करना है जो
तुम्हें मुश्किलों से निभाना है
खिलना छोड़ दिया मुझमें माज़ी ने तुम्हारे
मुस्तकबिल को मुरझाना है।

