मुखौटों वाले भीड़ में होने लगी एक बेचैन सी उजबुजाहट एकांत के सुरीले तारों ने जबसे आत्मा क... मुखौटों वाले भीड़ में होने लगी एक बेचैन सी उजबुजाहट एकांत के सुरीले तारों...
माज़ी के झरोखों से मैं क्यूँ झांका करूँ ? जब जीना आज में है। माज़ी के झरोखों से मैं क्यूँ झांका करूँ ? जब जीना आज में है।
हम, हम ही थे की शान में पलकें बिछा गए, आप, आप थे के गोया नींदें उड़ा गए। हम, हम ही थे की शान में पलकें बिछा गए, आप, आप थे के गोया नींदें उड़ा गए।
हर चेहरा क्यूं बुझा बुझा सा, हर चेहरा क्यूं डरा डरा सा । हर चेहरा क्यूं बुझा बुझा सा, हर चेहरा क्यूं डरा डरा सा ।
ना वक्त कभी ठहरा है ना खुशियाँ कम हुई हैं ना वक्त कभी ठहरा है ना खुशियाँ कम हुई हैं
चलो माज़ी को मुस्तकबिल बनाने की बात करते हैं। चलो माज़ी को मुस्तकबिल बनाने की बात करते हैं।