एक सोच
एक सोच
माज़ी के झरोखों से मैं क्यूँ झांका करूँ ?
जब जीना आज में है
तो क्यूँ न आज के पलों से
कल का सुनहरा इतिहास लिखा करूँ !
माज़ी के झरोखों से मैं क्यूँ झांका करूँ ?
जब जीना आज में है
तो क्यूँ न आज के पलों से
कल का सुनहरा इतिहास लिखा करूँ !