अब परिस्थितियां विपरीत हैं, उंगलियां रुक रुक कर चलती हैं अब परिस्थितियां विपरीत हैं, उंगलियां रुक रुक कर चलती हैं
तेरी याद है सिमटी हुई कुछ अधखुली किताबों में। तेरी याद है सिमटी हुई कुछ अधखुली किताबों में।
रुको जरा सुनो कहाँ चल दिये इतनी भी क्या जल्दी तुम्हें आओ जरा गुफ्तगू करें! रुको जरा सुनो कहाँ चल दिये इतनी भी क्या जल्दी तुम्हें आओ जरा गुफ्तगू ...
शुन्य से शुरू शुन्य पर खतम एक सफरनामा होगा मेरा ! शुन्य से शुरू शुन्य पर खतम एक सफरनामा होगा मेरा !
शुन्य से शुरू शुन्य पर खतम एक सफरनामा होगा मेरा थक गया होऊँगा चलते चलते ! शुन्य से शुरू शुन्य पर खतम एक सफरनामा होगा मेरा थक गया होऊँगा चलते च...
रिश्तों की हर ईट में रूहें बसी हुई हैं। तुम अपनो से दूर -दूर क्यों रहते हो।। रिश्तों की हर ईट में रूहें बसी हुई हैं। तुम अपनो से दूर -दूर क्यों रहते हो।।