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Rajeshwar Mandal

Abstract

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Rajeshwar Mandal

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यात्रा विराम

यात्रा विराम

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कुछ गुफ्तगू होगी

कुछ चर्चे होंगे

कोई खुश तो कोई गमगीन होगा 

कांटे बना रहा जिनके आँखों का जीवन भर 

उनकी भी आँखें शायद आज नम होगी!


पता नहीं वो सफर कैसा होगा 

कंटीले नुकीले या समतल होगा 

ईर्ष्याहीन द्वेषविहीन 

चित शांत मेरा 

तन मन निर्मल होगा ।


जो पन्ने अपाठ्य रहा जीवन भर 

वही पन्ने आज खुब पढ़े जाएंगे 

कुछ मन की बात 

कुछ मनगढ़ंत सी बात 

पर कुशल व्याख्या किये जाएंगे 

लोग चर्चा करेंगे मैं मौन रहूंगा 

हो सके प्रत्युत्तर न दे सकूँ 

पर मैं सब कुछ सुनता रहूंगा 

तुम पढ न सकोगे मेरे मन को 

पर मैं सबको पढता रहूंगा ।


एक आध घंटे का सफर होगा मेरा

पर एक सफरनामा लिख जाऊँगा 

हो सके तो पढ लेना इशारों में 

कुछ कड़वे टिप्स छोड़ जाऊँगा ।


शुन्य से शुरू 

शुन्य पर खतम 

एक सफरनामा होगा मेरा 

थक गया होऊँगा चलते चलते 

पर कुल यात्रा जीरो मीटर होगी ।


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