टूटे हुए लोग
टूटे हुए लोग
दूसरों के घर तोड़ कर खु़श रहते हो।
आज खु़द की घर उजड़ने पर क्यों रो रहे हो।।
रिश्तों की हर ईट में रूहें बसी हुई हैं।
तुम अपनो से दूर -दूर क्यों रहते हो।।
कोई मसला ऐसा नही जिसका हल ना हो ।
तुम ज़रा -ज़रा सी बात पर आसतीन क्यों चढा़ लेते हो।।
कोरे कागज़ पर मोहब्बत की लम्बी लकीरे खींच दो ।
पडो़स में जो दुशमन है उसे भी दावतें भेज दो ।।
उड़ती रहती है अफ़वाहे लफ्जो़ का ।
आज ज़रा सामने से गुफ़्तगू कर देख लो।।
उनके जनाजा़ पर खू़ब भीड़ उमड़ी है ।
तुम भी लोगों से मोहब्बत करना सीख लो।।
दूसरों के घर तोड़ कर खु़श रहते हो।
आज खु़द की घर उजड़ने पर क्यों रो रहे हो।।