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Mritunjay Patel

Tragedy Inspirational

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Mritunjay Patel

Tragedy Inspirational

नई संसद की दीवारें

नई संसद की दीवारें

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नई संसद की दीवारें बोलेगी

 आप की हठधर्मिता …

महल की भवता में देश के 

सर्वोच्च नागरिक का अनादर , 

 विपक्षी पार्टी को रखा ताक पर ,

 चलाकर अपने  राज दंड,

 कई साल के अथक अनुसंधान से पाया 

" सेंगोल " (राज दंड /  ब्राह्म दंड ) , 

 संग्रहालय में पड़ा था,  

 धरोहर दर्शन अभिलाषी।

 अब स्थानांतरित हुआ,

 यह राज दंड l

   सुशोभित करने नई संसद ,

  बहुल सत्ता में होगी जिसकी कुर्सी ,

क्या राज दंड का चलेगा डंडा !


कुछ ऐसा ही दृश्य उभरा दिल्ली के सड़क पर, 

उसी  क्षण भारत की ओलम्पिक विजेता 'बेटियों' को सहनी पड़ी पीड़ा ,

जो लड़ रही थी , 

अपनी अस्मिता की लड़ाई !

सभी मिडिया का मौन व्रत देख, 

 हुई जग हंसाई l


संसद के उद्घाटन में

 सर्व धर्म का प्रतीकात्मक,

 सम्मान योग्य था ,

लेकिन इस काल  - खंड में ,

 दलित होना रह गया कलंकित !

कैसे हवन कुंड से दूर बना कर रखा  

अछूत  को .. अछूत न कहे,

 तो क्या कहें? 

  देश का सर्वोच्च लोक मंदिर की  दीवारें ,

चीख कर बोलती रहेंगी कान बहरे होने तक…


मैं संसद की गरिमा हूं..

किसी की बनाई हवेली नहीं l

 मुझ में बसता है,

 सम्पूर्ण भारत वर्ष की आत्मा ।


 मैं  न्याय की मंदिर हूं, 

मैं हर भारतीय की उम्मीद हूं ,

फिर क्या रही मजबूरी 

 "मैं" की भरने हुंकार ,

  सत्ता पाना एक मात्र लक्ष्य नहीं। 


न्याय दो..!

न्याय दो..!

तुम सबकी , 

हो आवाज़ l 

किसान कहता न्याय दो..

गरीब - अमीर कहता न्याय दो.. 

हमारी दमित बेटियाँ कहती न्याय दो..

देश की युवा कहता न्याय दो..


तुम्ही तो उगता सूरज हो..

 तुम्हें ,प्रतिनिधि बनाकर ,

सड़क से संसद तक पहुंचाया है,

उन्हें, उनके देश संवारने ,

उन्हें, उनके सपनों के पंख फैलाने,

 उसकी उम्मीद का जलती बाती हो। 


यह भारत जैसा कोई विश्व में देश नहीं ,

जिसमें रचता - बसता ,

सर्व धर्म की अंतर आत्मा है। 


मैं, मैं ..

की चलन को त्याग कर ,

चलानी होगी सरल जीवन धारा, 

कट्टरता से परे, 

बहानी होगी विज्ञान की धारा l

संसद गढ़ती रहेगी सदा ,

आवाम की समाधान की धारा।




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