बेटियाँ
बेटियाँ
बेटियाँ तो आंगन की खुशियां है,
जैसे आंगन की तुलसी चौरा ll
मां - बाप की हृदय का सुखन,
मां की ममता, पिता का दुलार।
बेटियाँ आज बंधने चली जीवन सूत्र में
वर-वधू के बीच निश्चल प्रेम सा हो कीर्तिमान l
बेटियाँ की छुटेगी आज अपना घर - आंगन,
बिछडेंगी मां की ममता,पिता का दुलार l
सब कुछ छोड़ चली है ..
अपनी पिया के घर बसाने,
नई जिंदगी में रंग भरने l
ना छूटेगी कभी यादें -
आंगन, उन गलियों की
मां की ममता, पिता का दुलार।
बेटियों का दिल, तो 'सागर' सा है,
प्रेम को ना होने देती कमी कभी l
बेटियाँ जरा सी आह जान कर कैसे भागे आती है,
अपना घर- आंगन,
आंखों में झर-झर आंसू अथाह प्रेम सा आंचल,
आलिंगन से छण भर में सारा पीडा बाट लेती
यही वो आंचल।
बेटियाँ तो सुकून है, रूह में बसता प्राण l
जैसे आंगन में तुलसी चौरा की हरियाली l
