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Mritunjay Patel

Abstract

4  

Mritunjay Patel

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यात्रा

यात्रा

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328


                       


वक्त के साथ जिनको चलना आया l

राह-ए-मंजिल सफर तय करना आया ll

सच भी है लेकिन, 

बिना सफर तय किए ,न चलना आया l

किताबो  में जिक्र न होती हर वो रास्ता, 

चलना-लड़खड़ाकर गिरना, फिर संभलना आया ll


जिंदगी के अनेक रंग है , हर मोड़ पर सिखना आया।

संत - फकीरी की राह है,सगुण, निर्गुण ..

जीवन के अंतिम पथ पर आत्म समर्पण करना आया।l


जीवन का मूल रहस्य क्या है?

 जन्म - मृत्यु के बीच की दिवार को फंदना ना आया।

हम सभी है उनकी (प्रभु) रचना ,

नास्तिक होकर भी प्राकृत की सचाई को झूठलाना ना आया।l


चारो तरफ मैं-मैं की शंखनाद गूंज रही , 

धरती, आसमान बदल देने की ,

अपने ही मृत्यु पर जय घोष करना ना आया l

अशांत मन लील रही है संपूर्ण जगत को,

जाति, धर्म, लिंग, भेद की जाल से निकलना ना आया ll


शांति की खोज में अशांत मन ! 

किसी का दिल जीतना ना आया।l



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