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Mritunjay Patel

Tragedy Classics Inspirational

4  

Mritunjay Patel

Tragedy Classics Inspirational

संस्मरण मां को अर्पित

संस्मरण मां को अर्पित

2 mins
392


पल - पल टुट रहा हूं,

अपनो की साए हटने से।

जिंदगी की सच्चाइयां 

देख कर सिख रहा हूं l 

सभी धोखा है, 

ख्वाबों के गुलदस्ते के फूल l

आज लम्हा - लम्हा सा बिखर रहा हूं।


 माँ की साए में, 

 मेरी वज़ूद को मिल रही थी आसमा l

 प्रेम का धागा टूट कर …

 मैं सदा के लिए तन्हा सा रह गया हूं। 


मां तुम से करनी थी,

 बहुत बातें l

 रह गए ख्वाब अधूरे…

तेरे बिन अब मैं बेसहारा हूं।


तुम घर के चौखट पर

 बैठ कर बताती थी, 

मौसम -ए-हाल ..

दिलचस्पी बड़ी थी,

देश -विदेश की ख़बरें,पर्व - त्योहार, रीतिरिवाज़ो में 

मोहल्ला के लोग भी तुमसे जानने आते 

 पर्व-त्याहार, शादी - विवाह के दिन और तारीख।

हमें हमेशा समझाते आपसी सौहाद्र l


तेरा यू चले जाना, 

 ज़िंदगी अब कितनी छोटी लगती है..

 साए में तेरे बिन रह गया,

अब अजनबी मुसाफिर।

 

पूजा -पाठ, धर्म-शास्त्र में रूचि थी तुम्हारी,

 लेकिन न थी अंध विश्वास पसंद तुम्हे, 

निर्मल मन, कोमल हृदय, मुदुल भाषा 

लेकिन थी स्वाभिमानी।


माँ - बेटी का प्रेम अदभुत, 

रोज लेती हाल -चाल सबकी,

कोई ऐसा दिन ना हो,

जिस दिन ना निकला हो सूरज, चंदा। 


आज होकर एक दूजे से जुदा,

 उजाड़ मौसम, पतझड़ आया..

मां का दिया हो हौसला देति ढाढस, 

आस-पास गूंज रही आवाज, 

 मैं हूं तुम्हारे साथ सदा l


मां - बाबू जी के बीच प्रेम था बेमिसाल,

कठीन परस्थितियों में भी न टूटने देती थी 

एक दूजे को ..

घर को मंदिर बना बैठी थी।

वह देवी घर के मंदिर से

 एक दिन अचानक गूम हो गई,

मां तेरी मंदिर में जगह नहीं लेगी दूजा।


क्या मंदिर, मस्जिद, गिरजा, 

तुम से मिलकर भगवान का 

नजराना पसंद आया।

 तुम फिर ज़मीन पर आना बार- बार ..

 किस्मत से तुम मां के रूप में मिलना बार-बार l


 मुश्किल भरा यह प्रश्न लेकिन

 मेरा मोह, तेरी ममता फिर से मिलने 

हर जन्म, शायद खिच लाएगी बार - बार l 

मां तुम्हारी याद आएगी बार-बार। 


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