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Mritunjay Patel

Others

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Mritunjay Patel

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हिंदी कविता :सर्द मौसम

हिंदी कविता :सर्द मौसम

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सर्द मौसम में फिजाओं का रंग निखर आया है ।

 कोई दुल्हन सज - सवॅंर कर दहलीज पर आई है । 


हवा की सरसराहट से बदन में जैसे ;गुदगुदी लगती है ।

सर्द अदृश्य हाथ छू कर ,मेरे मन को बहला रही है ।


इन मौसम के फिज़ाओं में खिलखिला रही रवि फसले ।

कलकल करती नदी - तलाब का शीतल जल ।।


चारों तरफ कोहरा के बीच ठिठुरते फुथपाथ ।

सूरज की गर्मी पाकर बदन में आई नई ताज़गी।।


यौवन में आई निखार, भंवरा मंडराएं बाग -बगीचा।

 यह सर्द मौसम माघ से बसंत की ओर ली अंगड़ाई ।।

  

उम्मीद भरा किसान की फसल हुई जवान ।

हम किसान के घर आई फिर से खुशहाली ।


दूर देश गए विचरण करने परिंदा ।

लौट आए सब अपने देश -प्रदेश ।।


चैत्र, बैसाखी, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, 

कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन।

यह ऋतु काल का बदलना मन का अंत:करण भी है।।



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