हिंदी कविता :सर्द मौसम
हिंदी कविता :सर्द मौसम
सर्द मौसम में फिजाओं का रंग निखर आया है ।
कोई दुल्हन सज - सवॅंर कर दहलीज पर आई है ।
हवा की सरसराहट से बदन में जैसे ;गुदगुदी लगती है ।
सर्द अदृश्य हाथ छू कर ,मेरे मन को बहला रही है ।
इन मौसम के फिज़ाओं में खिलखिला रही रवि फसले ।
कलकल करती नदी - तलाब का शीतल जल ।।
चारों तरफ कोहरा के बीच ठिठुरते फुथपाथ ।
सूरज की गर्मी पाकर बदन में आई नई ताज़गी।।
यौवन में आई निखार, भंवरा मंडराएं बाग -बगीचा।
यह सर्द मौसम माघ से बसंत की ओर ली अंगड़ाई ।।
उम्मीद भरा किसान की फसल हुई जवान ।
हम किसान के घर आई फिर से खुशहाली ।
दूर देश गए विचरण करने परिंदा ।
लौट आए सब अपने देश -प्रदेश ।।
चैत्र, बैसाखी, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन,
कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन।
यह ऋतु काल का बदलना मन का अंत:करण भी है।।