देश के रक्षक
देश के रक्षक
देश के रक्षक जान पर खेल कर
वतन की हिफाजत करते हैं,
अपने मन में देश के प्रति,
निश्चल भाव रखते हैं,
तन मन से सेवा करते हैं,
सर्दी गर्मी सब सहते हैं,
कर्तव्य मार्ग पर डटे रहते हैं,
जाने कितने दर्द सहते हैं,
दुश्मन का सामना करते हैं
मुंह तोड़ जवाब भी देते हैं,
उनके ही दम से हम सब,
सकून से घर में रहते हैंं,
परिवार से दूर रहते हैं
कितने मजबूर रहते हैं,
लेकिन देश के प्रहरी हैं
अपना दुख कभी ना कहते हैंं।