सत्य का बीज
सत्य का बीज
गर्म रेत की चारपाई है
काँटों का बिछौना है
जटिल कठिन पथ पर
बीज सत्य का बोना है
असत्य क्षणिक मात्र है
क्यूँ भार उसका ढोना है
सत्य के उजागर होने पर
शर्मिंदा उसे होना है
दर्पण समक्ष देख स्वयं को
गौरवान्वित अनुभूत होना है
मन पर कोई बोझ ना हो
चैन से चादर तान के सोना है
जटिल कठिन पथ पर
बीज सत्य का बोना है।
