किवाड़
किवाड़
घर की किवाड़ से उसने जो निहारा
मैंने दिल के दरवाज़े खोल दिए
वो शब्दों के जाल बुनती जब तलक
मेरी आँखो ने दिल के जज़्बात बोल दिए।
घर की किवाड़ से उसने जो निहारा
मैंने दिल के दरवाज़े खोल दिए
वो शब्दों के जाल बुनती जब तलक
मेरी आँखो ने दिल के जज़्बात बोल दिए।