आओ, हर घर तिरंगा लहराए
आओ, हर घर तिरंगा लहराए
मिलकर अब नया इतिहास रचाए
आओ, हर घर तिरंगा लहराए।
अब रोग मुक्त हो हर गाँव शहर
चले देश भर शिक्षा की लहर
हर तन वस्त्र हर उदर संतुष्ट हो
आचार प्रणाली ना कोई भ्रष्ट हो
‘स्त्री’ की मर्ज़ी का सम्मान हो
कन्या जन्म पर अभिमान हो
अनागत समय ‘अमृत काल’ कहलाए
आओ, हर घर तिरंगा लहराए ।
यहाँ नित नए उद्योगों की नींव डले
राष्ट्र ‘आत्मनिर्भर’ पथ पर चले
विकास परियोजना गतिशील हो
भविष्य भारत का उन्नतिशील हो
हर कर्मठ युवा के हाथ रोजगार हो
स्वप्न हर देशवासी का साकार हो
सूर्य किरण की आभा अब नव सवेरा लाए
आओ, हर घर तिरंगा लहराए ।
ना नफ़रत की कुठार हो
ना
मतभेदों की दीवार हो
हिंदू मुस्लिम साथ आयें
ईद दीवाली मिलकर मनाएँ
मंदिर-मस्जिद चर्च- गुरुद्वारे
देते एक ही संदेश सारे
मानवता के आगे हम शीश झुकाए
आओ, हर घर तिरंगा लहराए ।
सरहद पर खड़ा रक्षक वीर है
खिंची उसने दुश्मन के लिए लकीर है
होगा ढेर वहीं जो आँख उठाए
शत्रु भी हिमालय सम्मुख मस्तक झुकाये
ना-पाक हर पड़ोसी क्यूँ ना थरथराए
अब चीन भी घुटने पर आए
गौरव गाथा माँ भारती की विश्व भी गाए
आओ, हर घर तिरंगा लहराए ।