सौभाग्य
सौभाग्य
माँगी दुआएँ मस्तक झुकाया
ली ईश्वर की पनाह
बरसों से थी इस घर को
बस एक कन्या की चाह
तेरे आगमन से सारा घर
फूलों की ख़ुशबू सा महका
मधुर ख़ुशियों की ध्वनि से
घर आँगन भी चहका
ओंस की बूँद सी निश्छल तुम
तुझसे पतझड़ में भी बहार है
मस्तिष्क पटल पर तेरी हर स्मृति
मानो प्रकृति का निख़ार है
घर की रोशनी तुझसे
तू हर चेहरे की ख़ुशी है
खिलखिलाया हर कोना घर का
जब तेरे अधरों से छूटी हँसी है
रवि सा प्रखर तेज तुझमें
चंद्र किरण सी मध्यम छाया
बिंदास बेबाक़ चुलबुला
मुझको तेरा हर रूप भाया
धरा पर तेरे अवतरण से
बदला परिवार का भाग्य है
तेरा ‘चाचू’ कहलाना
सच कहूँ,मेरा सौभाग्य है।