लड़के कभी रोते नही
लड़के कभी रोते नही
देखा है अक्सर लड़कों को मैंने
छिपाते हुए अपने दुख,
अपनी तकलीफ़
हँसते, मुस्कुरातें
क्यूंकि उन्हें लगता है
ओढ़नी है उन्हें भी जिम्मेंदारियां
अपने पिता की तरह
कमजोर नहीं पड़ना उन्हें
किसी भी परिस्थिति में
बेशक पीड़ा उन्हें भी होती है
जब वो महसूस करते है
किसी अपने को अपने से दूर
पर जता नही पाते...
बच्चों, पत्नी, माँ सभी की पूरी करते है ख्वाहिशें
पर दबा जाते हैं अपनी ही
ख्वाहिशों को अपने सीने में
दिखते है चट्टान की तरह मजबूत
क्यूंकि, वो जानते है
जिन्दगी की रफ़्तार भावुकता के साथ बहने में नहीं
निरन्तर चलने में है
