तो लगे बसंत है जीवन
तो लगे बसंत है जीवन
जब प्रकृति प्रतीत हो खुशनुमां
धरा पर खिले हर और रूप नया,
प्रेम का संदेश हर और फैला हो
हर कुटिया में उजाला हो,
तो लगे बसन्त है जीवन।
जब कलरव कर रहे हों पक्षी ऐसे
नेह का संदेश रच रहे हो जैसे,
जब कोयल छेड़ दे मधुर तानें
अधरों पर सबकी फैली मुस्कानें,
तो लगे बसन्त है जीवन।
जब आन्नदमय दृश्य हो चहुँ ओर
जब हर आंख में आशा हो हर ओर,
तो लगे बसन्त है जीवन।
ऐ बसंत तू भर दे सबके अधरों पे मुस्कान
ऐ बसंत तू भर दे सबके जीवन में अनुराग,
कि जब तू फिर लौटे
तो विस्मृति बनी रहे तब तक,
कि तेरा अहसास सुखद
तू है ॠतुराज बंसत,
तू है ॠतुराज बंसत।