चैन ओ अमन
चैन ओ अमन
चैन ओ अमन चाहती हूं
मैं अंशाति नही शांति चाहती हूं
धरा से आसमां तक उड़ना चाहती हूं
मैं चैन ओ अमन चाहती हूं।
गैर मुझसे जो पता मेरा पूछे
मैं गर्व से भर आती हूं
मैं भारतीय हूं शांति चाहती हूं।
दो पल यहां मिलकर तार
से जुड़ जाते हैं
सदियों पुराना रिश्ता
अपना वो बताते हैं
ये कौन सी लहर चली
धुंआ उडा़ रही है
मेरे भारत की मिट्टी को
विषैला बना रही है।
यहां शांति प्रिय है सब
सब शांति चाहते हैं
मुझे तो लगे सब अपने
कौन है ये जो मुखौटा पहने खड़े हैं
अंशाति चाहते हैं
मैं चैन ओ अमन चाहती हूं
मैं आशांति नही शांति चाहती हूं।
मीठा सा सब यहां बोले
हिन्दू हो या मुस्लिम
सिख हो या ईसाई
प्यारा सा सब यहां सोचे
मिट्टी के हम बुलबुले
पल भर का ना भरोसा
खुदा के हम बन्दे
नेक राह पर चलेंगे
सब को बताना चाहती हूं
मैं चैन ओ अमन चाहती हूं।
मैं आशांति नही शांति चाहती हूं।