ए सखी मौसम सुहाना आया है
ए सखी मौसम सुहाना आया है
ताउम्र खुश करने में सबको गंवा दी
जरा सी चूकि तो तोहमतें हजार लगा दी
कुछ पलों को अब अपने साथ बिताना है
ए सखी मौसम सुहाना आया है
अब मुस्कराना है
चलो आज फ़िक्र को धुएँ में ही उड़ा देते है
खुद की नज़रों में खुद ही को उठा देते है
सुख को महसूस करने का मन बनाना है
ए सखी मौसम सुहाना आया है
अब मुस्कराना है
पंखों में अपने नई इक उड़ान सी भरनी है
अरमानों की दास्तां हमें तो पुरी करनी है
उड़ते ख़्वाब चहकाने का मन सजाना है
ए सखी मौसम सुहाना आया है
अब मुस्कराना है
माना पारिवारिक जिम्मेदारियां ज्यादा हैं
सबको सेवा भाव का पहुंचाना फायदा है
अपने पति बच्चों के प्रति फर्ज़ निभाना है
ए सखी मौसम सुहाना आया है
अब मुस्कराना है