बौनी उड़ान
बौनी उड़ान
भर लूँगी अपने मन में,
हौसलों की उड़ान
हैं कदम छोटे-छोटे तो क्या,
ढूंढ ही लूँगी जहान।।
भरता बूंद-बूंद से सागर है,
ये तो है एक विश्वास।
लिख लूँगी प्रारब्ध स्व अपना,
कहती है हर एक श्वास।।
विजय पताका फहराउंगी,
देखेगी ये सृष्टि।
नई ज्योति, नव अलख जगा के,
भर लूँगी मैं मुट्ठी।।
है आदि अभी कुछ दिवास्वप्न,
है आदि अभी कुछ शर्तें।
है अभी धरा से नव अंकुर फूटा,
है अभी कोटिशः रस्ते।।
हाँ करती हूँ आज मैं,
एक नया आगाज़।
एक न एक दिन बन जाऊँगी,
मैं सबकी सरताज़।।