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Shalini Mishra Tiwari

Abstract

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Shalini Mishra Tiwari

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आवेश

आवेश

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कुछ पाऊँ कुछ खो दूँ,

मन का है सिलसिला यही।

हार के जीतू, जीत के हारूँ,

पर जीवन से गिला नहीं।।


खोती रहती हूँ हर पल,

खुद को सम्हाल पाती नहीं।

अनकहे एहसासों को बस,

खुद में सम्हाल पाती नहीं।

कुछ न होकर भी शिकवा है,

इतनी शिकायतों का सिला नहीं।

पर जीवन से गिला नहीं।।


आज तो हैं उम्मीदें जो,

कब टूट जाए आरसी तरह।

मर मिटने की बाते जो,

कब मिट जाए बेबसी तरह।

कैसे बताऊँ उन बातों को,

जो अब तक मिला नहीं।

पर जीवन से गिला नहीं।।


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