सबसे बड़ा डर
सबसे बड़ा डर
डर है मुझे मैं उनकी यादों से
दूर न हो जाऊं,
जो मेरे जीने का
अवलंब है।
एहसास ही सहारा है
मेरे नीरस जीवन का।
डर है मुझे मैं भटक
न जाऊं
कहीं दुनिया के
शोर-शराबे में
मेरा अस्तित्व खो न जाए।
तुमसे ही मेरा जीवन
बंधा है, मेरा अस्तित्व, सम्बल
सब तुमसे है।
तुम दूर हो तो क्या
तुम्हारे भावों का
आवरण ओढ़ रखा है
जो हर क्षण मुझे
विश्वास दिलाता है
कि तुम हो मेरे आस-पास
कहीं किसी भी रूप में।
जब मन की उलझनें
परेशान करती है
तेरा ही अक्स आता है कि
तुम आ जाओ
एक पल के लिए ही
देखो तो,
आज भी मेरी भावनाएं
सिर्फ तुम्हारी है
पर
इन पर
अभेद आवरण है।
मैं डरती हूँ
मेरे अनकहे बन्धन
को कोई चुरा न ले।
तुम्हारी यादों से ही
तो सम्पूर्ण हूँ।।