फ़टी जेब
फ़टी जेब
हैं लाखों सपने
कैसे करूँ पूरे
मन को मार
इच्छाओं को
दबाती हूँ।
फ़टी जेब है अपनी हालत पर
व्याकुल होती हूँ।
न औरों की ख्वाहिश
पूरी होती है,
न खुद की कोई ज़रूरत।
पैसे न सही
पर जेब तो है
सुकून देता है जेब
जब
सोचती हूँ,
जेब फ़टी है तो
क्या कल सबकुछ
अच्छा होगा।
इस जेब में भी
खूब रुपया होगा।
सारी जरूरते
होंगी पूरी।
किसी को देख के
मन में फिर कुढ़नन होगी।
हमारे पास भी
पैसा होगा।
बनाया ईश्वर ने
हमें मानव है।
तो कर्म करूँगी
यूँ हाथ पर हाथ
धरे न बैठूंगी।
कमाऊंगी
मेहनत से पैसा
और
कर लूँगी पूरे सपने
खरीद लूँगी खुशियां।
अपने लिए, सबके लिए।
आज फटी है जेब तो क्या?
कल होगा फिर से सुनहरा
सवेरा।
होगी खुशियों की बहार।।