ख़ुद पर इल्जाम
ख़ुद पर इल्जाम
जुर्म ऐसा मत करिए,
कि जश्न मनाने का दौर न आए !
खड़ी खोटी किसी को ज्यादा न सुनाए,
कि ख़ुद पर भी इल्जाम आए !
ख़ूब करिए ईमानदारी का इस्तेमाल,
पर ख़ुद में रखिए मज़बूती को बहाल
किसी की लाख कोशिश से भी ना टूटे
ख़ुद को पत्थर सा बना लीजिए बवाल
ख़ुद में भड़के जो ज्वाला
ख़ुद को कह लीजिए हिम्मतवाला
मुश्किल को तनिक मोहलत न दीजिए
लड़ने की हिम्मत मुश्किल से ही लीजिए
मिलेगा मौका वो दौर भी आएगा,
ऊँचाई आपको ख़ुद ही बुलाएगा
प्रकृति का पैगाम आपके लिए आएगा
आप सा सुंदर जहां कौन बना पाएगा।