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Chandan Kumar

Abstract

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Chandan Kumar

Abstract

"तुम कविता क्यों लिखते हो "

"तुम कविता क्यों लिखते हो "

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🙂"तुम कविता क्यों लिखते हो?"🤘

तुम कविता क्यों लिखते हो,
क्या कोई टीस है जो शब्दों में उतरती है?
या मन के वीराने में
कोई अनुभूति रोज़ थरथराती है?

क्या हर छंद कोई टूटी हुई बात है,
या बचपन की कोई अधूरी सौगात है?
क्या तुम हर शिल्प में खुद को गढ़ते हो,
या बिखरे मन को चुपचाप पढ़ते हो?

कहते हैं—कविता सच्चे मन की पुकार है,
तो क्या तुमने अपने मौन से कोई बात की है?
या जीवन की भागती सड़कों पर
सिर्फ थकान को कविता में बाँध लिया है?

कभी लगता है—
तुम हर शब्द में रोते हो,
तो कभी यूँ,
जैसे छंदों से ही साँसें लेते हो।

कविता—क्या वो हथियार है
जिससे तुम ज़माने को टटोलते हो?
या बस एक आईना,
जिसमें रोज़ खुद को खोजते हो?

बताओ न...
तुम कविता क्यों लिखते हो?



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