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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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जल ही जीवन

जल ही जीवन

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जल पर तुम ध्यान दो

इस पर जीवन वार दो

यह सीमित संसाधन है

इसको अपना प्यार दो

ये न रहेगा, तू भी न रहेगा,


इसको अमृत तुम जान लो

ये है तो ही तेरा जहान है

इससे ही बना तू महान है

नदियों का रख रखाव तू कर ले

समय रहते मनुष्य तू सुधर ले


मत कर पानी तू और गन्दा

ख़त्म हो जायेगा,

तेरी सांसो का धंधा

ये जल ही जीवन है

बिना इसके नहीं होगा 


कोई वन है

पानी को स्वच्छ रखो,

अनावश्यक खर्च मत करो

रेगिस्तान इलाको को देखो

उनसे पानी की कीमत पूछो

पानी को तुम साखी


ह्रदय का टुकड़ा मान लो

हर प्राणी के साथ,

खुद को भी तुम तार लो।


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