कृषक के खेत से जो निकलता हैं
कृषक के खेत से जो निकलता हैं
🌾 कृषक के खेत से जो निकलता है... 🌾
वो सिर्फ़ अन्न नहीं होता,
वो उम्मीदें होती हैं, जीवन की डोर होती है।
वो हमारी थाली की रोटी नहीं,
बल्कि किसी किसान की रातों की नींद होती है।
हर सुबह सूरज से पहले उठकर,
धरती माँ की गोद को सहलाता है।
अपने पसीने से उसे सींचता है,
ताकि तुम्हारे घर में भूख ना आ पाए।
🌤️ बारिश हो या लू चले,
वो कभी नहीं रुकता।
उसकी आँखों में सपने नहीं होते,
बल्कि दूसरों के सपनों को पूरा करने का हौसला होता है।
👨🌾 वो किसान ही है,
जिसकी मेहनत खेतों में हरियाली लाती है,
जिसकी आँखों में तपती दोपहर होती है,
पर होंठों पर हमेशा मुस्कान होती है।
जब शहर सोता है, वो जागता है।
जब बाजार में दाम गिरते हैं,
वो चुपचाप सहता है।
📣 और फिर भी वो ना रोता है, ना शिकायत करता है।
क्योंकि वो जानता है –
"देश की भूख से बड़ा कोई स्वार्थ नहीं होता।"
🙏 आइए, उस हाथ को सलाम करें
जिसने हमें अन्न दिया, जीवन दिया, और आत्मनिर्भरता दी।
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📢 किसान केवल अन्नदाता नहीं,
बल्कि राष्ट्र की आत्मा हैं।
