कल आज और कल
कल आज और कल
गांधी, नेहरू, सुभाष, भगत सिंह और आज़ाद,
हमारी रगों में बस गए हैं
अपने बलिदान से वह भारत का नया इतिहास
रच गए हैं।
चल पड़ा था मेरा भारत हौसलों का हाथ थामे,
पूरे करने चला था स्वच्छ भारत के सपने,
कि तभी महामारी ने दिया दस्तक
कोरोना ने कि जो हमें हराने की हिम्मत
चुकानी पड़ी कोरोना योद्धाओं को इसकी
बड़ी कीमत,
पर अंततः हुए हम विजयी
झंडे गाड़े भारतीयों ने ओलंपिक में भी
नई शिक्षा नीति है हमारी बड़ी उपलब्धि
उमंग और आत्मविश्वास में भी हो रही है निरंतर वृद्धि,
चहुं ओर बजेगा डंका भारत का,
होगी आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की भी सिद्धि।